बस्ती/अभिनंदन के बस्ती का कमान संभालते ही बस्ती पुलिस पुनः अपने रूप में लौट आई है ? अब अराधियो की खैर नहीं है कि तर्ज पर बस्ती पुलिस काम करना शुरू कर दिया है लेकिन आज लोगो को समझ नहीं आ रहा कि क्या वहीं पुलिस है जो दो सप्ताह पहले थी थाने पर फरियादियों को भगाया जाता था पक्ष विपक्ष दोनों का चालान किया जाता था रात्रि गश्त के नाम पर केवल रात्रि में होमगार्ड दिखते थे।क्या हो गया बस्ती पुलिस को जो दिन रात सड़को पर नजर आने लगी है।
बतादे कि अगर कानून व्यवस्था पहले के तरह रहती तो लोग उच्चाधिकारियों के दरवाजे पर दस्तक देते थे प्रभारी निरीक्षक स्वयं पीड़ितों की सुनने लगे है ऐसी कौन सी हवा चली की बस्ती पुलिस भी अपने रूप रंग को बदल लिया है।एक साहब तो अपने कमरे से 12 बजे के बाद निकलते थे उनका आवास ही चलता फिरता ऑफिस था।आज ट्रैफिक के सिपाही चौराहों पर दिखने लगे है बस्ती में क्या पुराने कप्तान का भय नहीं था या कुछ और भी था।काश योगी जी ऐसे ही कप्तानों को जिले की कमान सौंपते तो आज पीड़ित न्याय के लिए दर दर नहीं भटकता क्योंकि बहुत ऐसे मामले देखे गए कि पुलिस दोनों पक्षों के बीच समझौता कराती और बात न बनने पर शांति भंग में दोनों का चालान करती थी।सर्किल वाले साहब तो अब थानों का निरीक्षण शुरू कर दिए है पहले कभी कभार सुनने को मिलता था कि सीओ साहब थाने का निरीक्षण कर रहे है।अब पुलिस कर्मी भी कहने लगे है कि साहब बहुत ईमानदार है क्या पहले के साहब —————————-