भगवती की प्रेरणा से श्रीहरि ने दैत्यों का किया संहार

बस्ती/ मानव की शरण की में जाने से हम सांसारिक रूप से सफल हो सकते है लेकिन प्रभु की शरण में जाने से हमारे सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है। सरल मन और सत्य के सहारे मां भगवती की शरण में मानव प्राप्त कर सकता है। दैत्यों ने हर युग में मानव और सनातन धर्म पर अत्याचार किया। लेकिन इनका संहार कर मां भगवती ने धर्म की स्थापन की। यह उद्गार प्रकट किया सिद्धि विनायक चेरीटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से साड़ी हिच्छा में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा में कथा व्यास पंडित राकेश त्रिपाठी ने। कथा का रसपान कराते हुए कहा कि देवताओं पर जब भी संकट आया तो उन्होंने जगत जननी जगदंबा के शरण में गए। मधु और कैटब नामक दैत्य ने देवताओं को युद्ध के लिए ललकारा तो वह घबरा गए। देवताओं ने भगवान नारायण की शरण ली। भगवान हरि ने एक गदा उठाया। दोनों दैत्य भगवान ब्रह्मा से युद्ध करने पहुंचे तो श्री नारायण से कहा कि हम तुमसे युद्ध करेंगे। भगवान और दैत्यों में युद्ध हुआ। पांच हजार वर्ष तक युद्ध लड़ा श्री हरि ने मधु कैटब से। भगवान दोनों को परास्त नहीं कर पाए। दोनों दैत्यों को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। श्री हरि ने कहा अभी विश्राम ले रहा हूं। नारायण को विश्राम का समय मिला। इसके बाद भगवान ने फिर युद्ध शुरू किया। भगवान ने माया का सहारा लिया और जगत जननी से सुंदर रूप बनाकर दैत्यों को भ्रम में डाल दिया। दोनों भ्रमित हो गए। अंत में श्री नारायण ने अपने जांघ पर दोनों दैत्यों का संहार किया। आज शनिवार को हवन और विशाल भंडारे के साथ कथा विराम होगा।

कथा में यजमान शैल कुमारी मिश्र, धर्मेंद्र कुमार मिश्र, वेदांश मिश्र, विनायक मिश्र, अंतिमा शुक्ल, शिक्षा मिश्रा, किरन मिश्र, सिद्धि मिश्र, सृष्टि मिश्र, अंकुर शुक्ल, अशोक कुमार मिश्र, राम किशोर, जगदीश यादव, जय प्रकाश मिश्र, अजीत कुमार, मोतीराम यादव, निखिल, लड्डू गोपाल, प्रमोद ओझा, अरुण मिश्र, दुर्गेश कुमार मिश्र, देवमणि मिश्र, हरि निषाद, राम प्रकाश मिश्र, प्रमोद कुमार सहित अन्य श्रोता उपस्थित रहे।

Amit Kumar Singh
Author: Amit Kumar Singh