लखनऊ/अप्रैल माह में प्रारंभ हो सकता मतदाता सूची का पुनरीक्षण अगले वर्ष 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव कराया जाएगा। आगामी पंचायत चुनाव में सभी आरक्षित कोटि के पदों के चक्र में बदलाव होगा। पिछले दो चुनावों में जिन पदों पर जिस कोटि के प्रत्याशियों को आरक्षण का लाभ दिया गया था अब वहां पर आरक्षण का चक्र बदल जाएगा। त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव में पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान है कि लगातार दो आम चुनावों के बाद आरक्षण का चक्र बदल जाएगा।
अब वर्ष 2026 में पंचायत आम चुनाव वह चक्र बदल जाएगा। 10 वर्ष पूरे होने पर इस बार नए परिसीमन होने की भी संभावना है। 2015 में इससे पहले परिसीमन कराया गया था। जहां पर जिस कोटि के प्रत्याशियों के लिए 2021 में पद आरक्षित थे, उसे समाप्त कर जनगणना के आधार पर नये सिरे से अप्रैल माह से त्रि-स्तरीय चुनाव के लिए पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ कराए जाने की अधिसूचना जल्द ही राज्य निर्वाचन आयोग से होने की संभावना है। 10 वर्ष पूरे होने पर इस बार परिसीमन भी नए स्तर पर होने की उम्मीद है, जिससे ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़ सकती है।
त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों का आरक्षण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उसकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाता है, अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की आबादी 25 प्रतिशत है, तो वहां उस कोटि के पदों का आरक्षण भी 25 प्रतिशत होगा। शेष पदों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों को 20 प्रतिशत के निकट होगा। सूत्रों के मुताबिक सदस्यों का आरक्षण ग्राम पंचायत के कुल पदों के आधार पर तैयार किया जाएगा। जबकि मुखिया के पदों का आरक्षण एक पंचायत समिति के अंदर आने वाली ग्राम पंचायतों के आधार पर तैयार किया जाएगा। इसी प्रकार से पंचायत समिति के सदस्यों का आरक्षण उस पंचायत समिति के कुल सदस्यों के आधार पर तैयार किया जाएगा। ब्लाक प्रमुख का आरक्षण प्रत्येक जिला के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा। इसी प्रकार से जिला परिषद सदस्यों का आरक्षण हर जिले के कुल सदस्यों की संख्या का 50 प्रतिशत होगा।